विवेकानन्द की जीवनी बुक हिंदी और इंग्लिश पीडीएफ - स्वामी निखिलानंद Vivekanand A Biography Book Hindi And English PDF - Swami Nikhilananda

विवेकानन्द की जीवनी बुक हिंदी और इंग्लिश पीडीएफ - स्वामी निखिलानंद
Vivekanand A Biography Book Hindi And English PDF - Swami Nikhilananda

विवेकानन्द की जीवनी बुक हिंदी और इंग्लिश पीडीएफ - स्वामी निखिलानंद Vivekanand A Biography Book Hindi And English PDF - Swami Nikhilananda

ये बुक सभी को पढ़नी चाहिए | क्यूंकि ये बुक हमें बताती है की सारे धर्म बराबर है | और हम सब का धर्म इंसानियत है |

इस बुक के ऑथर स्वामी निखिलानंद का जन्म 1895 में दुर्गापुर गांव में बांग्लादेश में हुआ था जो उस वक़्त ब्रिटिश इंडिया के राज में आता था | इनकी गिनती बहुत ही जाने माने  writers और thinkers  में की जाती है |


परिचय (Introduction) -:


क्या आपने भगवान् को देखा है ? कुछ इसी तरह के सवाल स्वामी विवेकानंद पूछा करते थे जब वो बच्चे थे. उन्होंने दुनिया की हर सुख सुविधा देने वाली चीज़ को छोड़ दिया था. सिर्फ एक डंडे और कटोरेके साथ उन्होंने पूरे इंडिया की सैर कर ली थी. वो भगवान को देखना चाहते थे और वो जल्दी ही इसमें सफल भी हो गये।
विवेकानन्द की जीवनी बुक हिंदी और इंग्लिश पीडीएफ - स्वामी निखिलानंद Vivekanand A Biography Book Hindi And English PDF - Swami Nikhilananda

इस बुक में आप स्वामी विवेकानंद के लाइफ के बारे में पढेंगे। वो जब बच्चे थे तो कैसे थे? वो कैसे इतने महान लीडर बने ? उनमें ऐसा क्या था जो अमेरिका में सब उन्हें इतना पसंद करते थे ? क्या है उनकी कहानी, उनके गोल्स और क्यों उन्हें आज भी इतना याद किया जाता है? इस बुक में आप ये सब और भी बहुत कुछ जानेंगे.

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अपनी खोज में स्वामी विवेकानंद ने अक्सर खुद को अकेला, भूखा और किसी ना किसी सोच में खोया हुआ महसूस किया. उनके पास बस उनका विश्वास था कि उन्हें जो चाहिए वो उन्हें ज़रूर मिलेगा. और एक दिन उन्होंने भगवान को देख लिया. उन्हें अपनी लाइफ का गोल मिल गया था, उन्हें साफ़ पता था कि उन्हें क्या चाहिए और जल्द ही उन्होंने उसे अचीव भी कर लिया था. स्वामी विवेकानंद ने हमेशा अच्छा काम ही किया था शायद इसलिए उनके पास खुद अच्छी चीज़ें आ जाती थीं।

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में मकर संक्रांति के दिन हुआ था (मकरसंक्रांति जो एक फेस्टिवल है)।

रामकृष्ण के चरणों में (At the Feet of Ramakrishna) -:


उन्हें सिंपल लाइफ पसंद है। पैसा और दूसरी सुख सुविधा देने वाली चीज़ें उन्हें खुश नहीं करती, उनकी बस यही इच्छा है कि वो भगवान् को जानें और उनके और पास चले जाएं।
अपनी इसी खोज में उन्होंने ब्रह्म समाज को ज्वाइन किया। एक दिन उन्होंने इस ग्रुप के लीडर से पूछा “सर क्या आपने भगवान् को देखा है?” उनकी बात सुनकर देवेन्द्रनाथ बहुत सरप्राइज हुए. उन्होंने नरेन् का मन बहलाने के लिए कहा कि “बेटे तुम एक साधू के जैसे हो, तुम्हें ज्यादा मैडिटेशन करना चाहिए”.
उनकी बात सुन कर नरेन् उदास हो गए, फिर उन्होंने रामकृष्ण के बारे में सुना, जिनका मन इतना साफ़ था और जो इतनी गहराई से मैडिटेशन करते थे कि उन्होंने भगवान् को महसूस किया था।


 उन्हें स्वामीजी द्वारा कही गयी बात -:

“एक समय आएगा जब मैं अपने शरीर को एक पहने हुए कपडे की तरह छोड़ दूंगा, मगर ये मुझे काम करने से रोक नहीं पाएगा. मैं हमेशा लोगों को इंस्पायर करता रहूँगा, तब तक जब तक वो समझ नहीं जाते कि वो उस भगवान् का ही एक पार्ट हैं.”

“हो सकता है मैं बार बार जन्म लूं, हो सकता है मैं पैदा होने के बाद बहुत सारे दुःख को झेलूं. इस तरह मैं उस भगवान् की हमेशा पूजा कर पाउँगा जिनपर मुझे सबसे ज्यादा विश्वास है, वो भगवान् एक ही है जिनमें हम सबकी आत्मा मिल जाती है.”

निष्कर्ष (Conclusion) -:


स्वामीजी हर इंसान में भगवान् को देखते थे। वो समझ गए थे कि भगवान् को पाने और उनकी सेवा करने के लिए हमें गरीब और कमज़ोर  लोगों की मदद और सेवा करनी चाहिए।

उन्होंने अपनी आवाज़ और अपनी सोच को गरीबों के लिए मदद माँगने में लगा दिया था। वो पूरी कंट्री में घूमे और हर जगह उन्हें यही गरीबी दिखाई दी। उन्होंने अपने  स्पेशल गिफ्ट को लोगों की सेवा करने में लगा दिया। उनके इसी क्लियर गोल ने उन्हें इतना सक्सेसफुल बनाया। उनके इसी पक्के इरादे के कारण उन्हें यूरोप और अमेरिका में इतनी रिस्पेक्ट मिली। वो सच में एक महान इंसान थे जिनकी जीतनी भी तारीफ की जाए वो कम है।

इस किताब के बारे में पढ़ कर आप कुछ नियमों को तो जान गए होंगे, इन नियमों को गहराई तक जानने के लिए आप निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर इस किताब का हिंदी अनुवाद पा सकते हैं |

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Vivekanand A Biography Book Hindi And English PDF - Swami Nikhilananda


विवेकानन्द की जीवनी बुक हिंदी और इंग्लिश पीडीएफ - स्वामी निखिलानंद Vivekanand A Biography Book Hindi And English PDF - Swami Nikhilananda

 Everyone should read this book.  Because this book tells us that all religions are equal.  And the religion of all of us is humanity.

 The author of this book, Swami Nikhilananda was born in 1895 in Durgapur village in Bangladesh which was then under the rule of British India.  They are counted among the most famous writers and thinkers.

 Introduction -:


 Have you seen god  Swami Vivekananda used to ask some similar questions when he was a child.  He gave up everything that was pleasing to the world.  With just one poles and bowls, he traveled all over India.  He wanted to see God and he soon became successful in it.

 In this book you will read about the life of Swami Vivekananda.  How were they when they were children?  How did he become such a great leader?  What was there among them that loved them so much in America?  What is his story, his goals and why he is still remembered so much?  In this book, you will know all these and much more.

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 In his search, Swami Vivekananda often felt lonely, hungry and lost in some way or the other.  They just had the belief that they would get what they wanted.  And one day they saw God.  He had got the goal of his life, he knew clearly what he wanted and soon he achieved it.  Swami Vivekananda always did a good job, probably because he used to get good things himself.

 Swami Vivekananda was born on 12 January 1863 on the day of Makar Sankranti (Makarsankranti which is a festival).

 At the Feet of Ramakrishna

 He likes simple life.  Money and other comforting things do not make them happy, their only wish is to know God and go closer to them.
 In his search, he joined the Brahmo Samaj.  One day he asked the leader of this group, "Have you seen God?"  Devendranath was very surprised to listen to him.  He said to entertain Naren that "son you are like a monk, you should do more meditation".
 After listening to him, Narena became depressed, then he heard about Ramakrishna, whose mind was so clear and who meditated so deeply that he felt God.


  He was told by Swamiji: -

 "There will come a time when I will leave my body like a clothed cloth, but it will not stop me from working.  I will always inspire people till they understand that they are a part of that God. "

 "May be I am born again and again, I may have suffered a lot after being born.  In this way I will always be able to worship the God whom I trust the most, that God is the only one in whom we all get our soul. "

 Conclusion -:


 Swamiji used to see God in every human being.  They understood that we should help and serve the poor and weak people to find and serve God.

 He put his voice and his thinking in seeking help for the poor.  He traveled all over the country and everywhere he saw the same poverty.  He put his special gift to serve the people.  His clear goal made him so successful.  Due to his strong intentions, he got so much respect in Europe and America.  He was truly a great man, whose victory is also to be commended.

 By reading about this book, you must have known some rules, to know these rules in depth, you can find the Hindi translation of this book by clicking on the link given below.

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