एक अच्छे बिज़नेस मैन कैसे बने हिंदी और इंग्लिश बुक समरी साइमन सिनेक्स द्वारा Start with Why motivation book pdf in hindi - Simon Sinek
एक अच्छे बिज़नेस मैन कैसे बने हिंदी और इंग्लिश बुक समरी साइमन सिनेक्स द्वारा
motivation book pdf in hindi
Start with Why Hindi And English Book Summery - Simon Sinek
स्टार्ट विथ व्हाई का मतलब है किसी मकसद के साथ शुरू करना। लोग कोई प्रोडक्ट अच्छे फीचर्स या उसे बनाने के मुश्किल मेथड को देख क नहीं खरीदते हैं। सवाल ये है कि आपकी कंपनी कस्टमर के लिए क्या कर सकती है और आपका प्रोडक्ट उनके लिए क्या मायने रखता है। अगर आप अपना बिज़नेस पॉपुलर और बढ़ाना चाहते हैं, तो ये बुक ज़रूर पढ़ें।
यह बुक किसे पढनी चाहिये
नए बिज़नेस ओनर्स, प्रोडक्ट बनाने वाले, मार्केटिंग स्टाफ, बिजनेसमैन बनने की इच्छा रखने वाले.
परिचय -:
क्यों से शुरुवात की मतलब है कि किसी भी काम को लेकर हम एक पर्पज के साथ आगे बढे. आपने कंपनी क्यों शुरू की थी ? लीडर क्यों बनना चाहते है आप? क्या जिंदगी में आपका कोई पर्पज है, अगर है तो क्या? ये सब सवाल फ़िज़ूल नहीं है, आपको ये बहुत काम के लगेंगे जब आपको पता चलेगा कि कई मल्टी-मिलियन कंपनीयां इसीलिए सक्सेसफुल हो पाई क्योंकि वे एक ख़ास पर्पज के लिए बनाई गयी थी. उन्होंने अपनी शुरुवात व्हाई के साथ की..
इस किताब का सब-टाइटल है “ कैसे ग्रेट लीडर्स ने लोगो को एक्शन लेने के लिए इंस्पायर किया” ग्रेट लीडर्स से हमारा मतलब सिर्फ उनसे नहीं है जो पोलिटिक्स में है बल्कि उन सबसे है जो किसी भी इंडस्ट्री की बड़ी बड़ी कंपनीयों में बड़ी पोस्ट पर होते है। एप्पल एक लीडिंग कंप्यूटर ब्रांड है लेकिन बाद में ये मोबाइल और छोटे इलेक्ट्रोनिक्स इंडस्ट्री में भी उतर गया। क्यों ? इसके बारे में हम बाद में जानेगे। लोगो को एक्शन के लिए इंस्पायर करना” यही ग्रेट लीडरो का काम होता है। एक अच्छा लीडर ना सिर्फ लोगो का वोट हासिल करता है बल्कि उन्हें इंस्पायर भी करता है। ठीक वैसे ही लीडिंग कंपनीज़ भी लोगो को अपना कस्टमर बनाती है और साथ ही उन्हें इंस्पायर भी करती है।
मेनीपुलेशन बनाम इंस्पायरेशन -:
मोटोरोला ने अपना फ्लिप टॉप फ़ोन मॉडल रेज़र 2004 में निकाला था। कई हौलीवुड सेलेब्रीटीज़ और प्राइम मिनिस्टर ने भी ये नया फ़ोन खरीदा। मोटोरोला के लिए ये बहुत बड़ी सक्सेस थी। कुल मिलकर उन्होंने रेज़र के 50 मिलियन यूनिट्स बेचे। हालांकि 4 साल में ही कोम्प्टीटर्स ने रेज़र की नकल वाले कई नये फ़ोन मार्किट में उतार दिए थे और भी बढ़िया फीचर के साथ तो मोटोरोला की चमक फीकी पड़ गयी। ये इसलिए हुआ क्योंकि कंपनी ने इंस्पिरेशन के बदले मेनीपुलेशन इस्तेमाल किया तभी इसने अपने सारे कस्टमर खो दिए. इसमें कोई लोयालिटी वाली बात नहीं थी। मोटोरोला ने नया प्रोडक्ट निकाला, लोगो को पसंद आया तो लोगो ने खरीदा मगर किसी और ने जब बेहतर प्रोडक्ट बनाया तो कस्टमर उसकी तरफ खिंच गए।म अब अगर मोटोरोला ने लॉयल कस्टमर बनाये होते तो वे सिर्फ मोटोरोला के ही प्रोडक्ट खरीदते। मगर लॉयल्टी पाने के लिए कुछ बड़ा सोचना पड़ता है। लोगो को इंस्पायर करना इतना आसान नहीं है. जब आप लोगो को मेनीपुलेट करोगे तो वे बस थोड़े से वक्त के लिए ही आपको फॉलो करेंगे।
मेनीपुलेशन किसी भी कंपनी या ओर्गेनाईजेशन को कमज़ोर ही बनाता है। लोग उन्हें फॉलो तो करते है मगर बस कुछ ही टाइम तक।
कुछ अलग सोचे -:
“आओ कुछ अलग सोचे”1984 में जब एप्पल कंपनी बनी तब से लेकर आज तक उसका यही मोटो रहा है। एप्पल ने अपने सभी प्रोडक्ट और एड्वरटाईजिंग में ये बात प्रूव भी की है। जो कुछ भी कंपनी कहती और करती है और यही एप्पल का स्ट्रोंग पर्पज है जिसे लेकर कंपनी चलती है। आईट्युन्श ने म्यूजिक इंडस्ट्री को बदल कर रख दिया। 2000 के शुरूवाती दिनों में लोग गानों के लिए सीडी बर्न करते थे। रेकोर्डिंग कंपनियों के लिए पाईरेसी एक बड़ी मुसीबत बन गई थी। तब स्टीव जॉब्स ने आईट्यून्श निकाल कर लोगो के सामने एक आल्टरनेट रखा। आईटुययूंश और आई पैड ने म्यूजिक इंडस्ट्री को डूबने से बचा लिया।
क्या आपको मालूम है कि एम्पी3 प्लेयर असल में एप्पल ने नहीं बनाया था। दरअसल ये क्रिएटिव टेक्नोलोजी सिंगापोर लिमिटेड के दिमाग की उपज थी। लेकिन फिर इसका सारा क्रेडिट एप्पल कैसे ले गया? एप्पल ने आई पैड को कुछ ऐसे पेश किया” एक हज़ार गाने आपकी पॉकेट में “. क्रिएटिव ने मार्किट को बताया कि उनका प्रोडक्ट “क्या” है पर एप्पल ने आईपैड “क्यों खरीदे” ये लोगो को बताया। क्योंकि लोग “क्या” नहीं समझते, वे कोई चीज़ “क्यों” है ये समझते है और खरीदते है।
आई फ़ोन के साथ एप्पल ने एक इनोवेशन किया था। ये मोटोरोला के रेजर की तरह सिर्फ एक नया प्रोडक्ट नहीं था। आई फोन की वजह से ही स्मार्ट फ़ोन का ट्रेंड चल निकला।
मगर एप्पल आखिर कैसे एक कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी से मोबाइल और गेजेट्स बनाने वाली कंपनी बन गयी. वो इसलिए क्योंकि एप्पल का एक ही मकसद था “ कुछ अलग सोचना” और यही वजह है कि जो भी प्रोसेसेस और प्रोडक्ट्स कंपनी बनाती है उस सबके पीछे कुछ अलग करने की सोच ही काम करती है।
एप्पल ने अपनी शुरुवात “व्हाई” के साथ की। सबसे पहले तो कंपनी ने एक स्ट्रोंग पर्पज एस्टेबिलिश किया जो था सबसे हटकर सोचना। आज हम एप्पल को “व्हाई “ के लिए जानते है ना कि”व्हट” के लिए। जब कंपनी बनी थी तो इसका लीगल नाम एप्पल कंप्यूटर इंक. रखा गया था लेकिन 2007 में कंपनी ने अपना नाम बदल कर सिर्फ एप्पल इंक कर लिया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि कंपनी अब कंप्यूटर के अलावा भी काफी कुछ बनाती है।
गोल्डन सर्कल -:
जब आप लोगो को बताते हो कि आपका प्रोडक्ट “क्या” है तो लोग उसके बढ़िया फीचर्स को एप्रिशिएट भी करते है मगर जब आप उन्हें अपनी कंपनी का पर्पज भी समझाते है तब जाकर वे आपके लॉयल कस्टमर बनते है।
जिस बात पर कस्टमर बीलीव करते है अगर आपकी कंपनी भी उसी बात पर बीलीव करती है तो कस्टमर कंपनी के लॉयल हो जाते है।और जब कंपनी के एम्प्लोयीज़ भी उस पर्पज को फील करने लगते है तो उन्हें अपने काम में और भी ज्यादा मोटिवेशन मिलती है। अगर आपके पास स्ट्रोंग पर्पज है तो यकीनन आप लोगो को इंस्पायर करके उन्हें लीड कर सकते है।
अगर आप लीड करना चाहते है तो ये ना सोचे कि आप लोगो को “क्या” दे सकते है। आप “व्हाई” से शुरुवात करे और लोगो को अपना पर्पज बताये। अगर लोग भी उसी पर्पज पर बीलीव करते है जो आपका है तो यकीनन वे आपके लॉयल बन जाएंगे। वे आपसे इंस्पायर होकर आपको फॉलो करने लगेंगे। इस इम्पोर्टेंट कोंस्पेट को याद रखिये। इसे गोल्डन सर्कल कहते है जिसमे “व्हाई’ है आपका पर्पज. “हाउ” है प्रोसेस और “व्हट” है आपका प्रोडक्ट।
कॉफी से कुछ बढ़कर -:
“व्हाई” से अपनी कंपनी या ओर्गेनाइजेश्न की शुरुवात करने से ज्यादा इम्पेक्ट पड़ता है क्योंकि हम इंसान अपना हर काम फीलिंग्स की वजह से ही करते है। ये गोल्डन सर्कल काफी इफेक्टिव है क्योंकि ये हमारे दिमाग के मेजर लेवल्स से रीलेट करता है। आप ‘क्या” बनाते है इससे ज्यादा आप “क्यों” बनाते है इस बात का असर लोगो पर पड़ता है। जो स्टारबक्स ऑफर करता है वो “व्हट” उनका प्रोडक्ट कॉफ़ी है मगर उनका पर्पज “व्हाई” है लोगो को कॉफ़ी पीते हुए कम्फर्टेबल फील करवाना। ये सब जानते है कि स्टारबक्स अपने कस्टमर को एक नाइस फीलिंग और नाइस एक्स्पिरियेंश देता है. यूँ तो बाकी कॉफ़ी शॉप्स भी है जहाँ लोग बैठकर बढ़िया कॉफ़ी पी सकते अहि फिर भी लोग फीलिंग्स की वजह से स्टारबक्स को चूज़ करते है।
डिज़्नी -:
अब हम वाल्ट और रॉय डिज़्नी ब्रदर्स का एक्जाम्प्ल लेते है. वाल्ट डिज़्नी पहले एक एडवरटाइजिंग फर्म में कार्टून आर्टिस्ट का काम करते थे। उन्हें एनिमेटेड मूवीज बनाने का शौक था. ये 1923 की बात है तब हॉलीवुड ने इतनी तरक्की नहीं की थी। अपने भाई वाल्ट डिज्नी से 8 साल बड़े रॉय डिज़्नी एक बैंकर थे। रॉय को अपने भाई वाल्ट के टैलेंट और इमेजीनेशन पर पूरा भरोसा था मगर वो ये भी जानते थे कि पैसे या बिजनेस के मामले में वाल्ट बहुत अच्छे नहीं है। ज्यादतर “व्हाई” टाइप के लोगो की तरह वाल्ट को भी बड़े-बड़े रिस्क लेने की आदत थी। वाल्ट ज़्यादातर फ्यूचर के सपनो में खोये रहते. एक बायो-ग्राफर ने बताया” वाल्ट डिज़्नी कार्टून बनाता था और सपने देखता था। मगर रॉय उसकी परछाई में रहकर एक बड़ा बिजनेस एम्पायर तैयार कर रहा था। रॉय ने फाईनेन्स और बिजनेस के अपने टैलंट को इस्तेमाल किया। रॉय की मदद से ही वाल्ट अपने सपनो को रियल कर पाया। रॉय डिज़्नी ने ब्योना विस्टा कंपनी बनाई जो डिज़्नी फिल्म्स डिस्ट्रीब्यूटकरती थी..
बिल गेट्स -:
बिल गेट्स जैसे ग्रेट लीडर्स में एक करिश्मा होता है क्योंकि उनके पास एक स्ट्रोंग पर्पज है। अपने बीलीफ को वे एक नाम, एक पहचान देते है। और उसे दुनिया तक पहुंचाते है। ग्रेट लीडर्स एक बिजन लेकर चलते है जो पर्सनल से कहीं बढ़कर होता है। उनके पास दुनिया के लिए कुछ प्लान, कुछ कॉज होते है। उनकी अपनी जिंदगी उनके लिए ज्यादा मायने नहीं रखती है।
बिल गेट्स मानते थे कि किसी भी प्रॉब्लम को सोल्व करने के दो तरीके है। वे ओप्टीमिस्टिक थे। वे मानते थे कि अगर ओब्सटेकल हटा दिए जाये तो कोई भी इंसान अपनी फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल कर सकता है
वे उन्हें इस बात पर भी पूरा यकीन था कि अगर लोगो को यूज़फुल टूल्स दिए जाए तो वे सक्सेसफुल बन सकते है इसमे कोई शक नहीं। “हर घर में, हर डेस्क में एक कंप्यूटर हो” यही बिल गेट्स का विजन है और उन्होंने अपना ये विजन माइक्रोसॉफ्ट बनाकर पूरा किया।
बिल गेट्स ने पॉवर पॉइंट बनाया, एक्सेल और वर्ड बनाया ताकि लोग अपनी जिंदगी में और भी ज्यादा एफ्फिशियेंट, और प्रोडक्टिव बन सके। उन्होंने विंडोज बनाकर लोगो की मदद की जिससे वे कुछ एक्स्ट्राआर्डिनरी कर सके। बिल गेट्स के पास एक विजन था कि लोग टेक्नोलोजी की मदद से अपनी लाइफ में इम्प्रूवमेंट ला सके। माइक्रोसॉफ्ट छोड़ने के बाद भी बिल गेट्स अपने विजन को लेकर चलते रहे।
कन्क्ल्युज़न -:
सिर्फ ग्रेट क्रेडेंशियल का होना ही ज़रूरी नहीं है, हर कंपनी के आने वाले सीईओ को अपने ग्रेट लीडर से इंस्पायर होना बहुत ज़रूरी है उसे उस बात पर पूरी तरह बीलीव होना चाहिए जिस पर कंपनी के फाउन्डर को बीलीव है अगर ऐसा नही होगा तो कंपनी कभी भी अपन पर्पज क्लियर नहीं कर पाएगी।और धीरे-धीरे उसकी रेपुटेशन भी खो जायेगी।
लेसन यही है कि किसी भी ऑर्गेनाइजेशन में उसके पर्पज बहुत डीपली रूटेड हो। भले ही कंपनी का फाउन्डर रहे या ना रहे मगर उसका पर्पज हमेशा चलता रहे तभी वो कंपनी सक्सेस के रास्ते में आगे बढती रहेगी। अब आप समझ गए होंगे कि “व्हाई” से शुरुवात करना क्यों ज़रूरी है। अपने पर्पज के बारे में सोचे, वो क्या हो सकता है। ऐसा क्या है जिस पर आप बीलीव करते है ? और जब आपको इन सवालों के ज़वाब मिल जाए तो अपना ”हाउ” (प्रोसेस ) और “व्हट” (प्रोडक्ट) के बारे में सोचना शुरू कर दे कि कैसे आप उसे अचीव कर सकते है. अपने विजन को कभी आँखों से ओझल ना होने दे।जो आप सोचते है, करते है और कहते है उस पर ध्यान दे। बस इस बात का ख्याल रहे कि ये सब आपके पर्पज के साथ मैच करे। एक बात और याद रखे कि आपका पर्पज जितना बड़ा होगा उतनी ही ज्यादा सक्सेस आपको मिलेगी।
Comments
Post a Comment